रिव्यू से कई शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं,क्योंकि इनकी नियुक्ति कोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन हुई, देखे खबर
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने भर्ती में आरक्षण केनियमों का पालन नहीं किया। सरकार ने एक जून 2020 की जो चयन सूची-जारी को थी, उसका वह रिव्यू करे और आरक्षण नियमों का पालन करे। आरक्षण नियत करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि कुल पदों के सापेक्ष 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण न हो।
यह निर्णय जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला को एकल पीठ ने 777 रिट याचिकाओं पर दिया। कोर्ट ने पांच जनवरी 2022 की जारी 6800 शिक्षकों की चयन सूची को भी रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को रिव्यू से प्रभावित होने वाले शिक्षकों के समायेजन के लिए नीति बनाने की छूट है। यह सरकारी अफसरों की जिम्मेदारी थी कि वे आरक्षण अधिनियम के नियमों का ढंग से पालन करते किंतु वे इसमें असफल रहे, . जिसका दुष्परिणाम इन शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। रिव्यू से कई शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं जो कि दो साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं। इन शिक्षकों की नियुक्तियां कोर्ट के अंतिम आदेशों के अधीन चल रही हैं।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने भर्ती में आरक्षण केनियमों का पालन नहीं किया। सरकार ने एक जून 2020 की जो चयन सूची-जारी को थी, उसका वह रिव्यू करे और आरक्षण नियमों का पालन करे। आरक्षण नियत करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि कुल पदों के सापेक्ष 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण न हो।
यह निर्णय जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला को एकल पीठ ने 777 रिट याचिकाओं पर दिया। कोर्ट ने पांच जनवरी 2022 की जारी 6800 शिक्षकों की चयन सूची को भी रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को रिव्यू से प्रभावित होने वाले शिक्षकों के समायेजन के लिए नीति बनाने की छूट है। यह सरकारी अफसरों की जिम्मेदारी थी कि वे आरक्षण अधिनियम के नियमों का ढंग से पालन करते किंतु वे इसमें असफल रहे, . जिसका दुष्परिणाम इन शिक्षकों को भुगतना पड़ रहा है। रिव्यू से कई शिक्षक प्रभावित हो सकते हैं जो कि दो साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं। इन शिक्षकों की नियुक्तियां कोर्ट के अंतिम आदेशों के अधीन चल रही हैं।