प्रदेश के परिषदीय स्कूलों में 50% से अधिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद खाली
पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से प्रमोशन नहीं होने के कारण प्रदेश के 50 प्रतिशत परिषदीय प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद खाली पड़े है। नतीजा 42 से 43 हजार परिषदीय प्राइमरी और करीब 23 हजार अपर प्राइमरी स्कूल काम चलाऊ व्यवस्था के तहत इंचार्जों के हवाले है। आलम यह है कि वर्ष 2015 के बाद से प्रदेश में प्रधानाध्यापक के पद पर कोई प्रमोशन ही नहीं हुए हैं।
कई जिले तो ऐसे हैं जहां 20 सालों से भी अधिक समय बीत चुके हैं लेकिन प्रमोशन नहीं हुए। विभाग की ओर से इस संबंध में प्रमोशन की नई पॉलिसी तैयार की गई है। इसे शासन से मंजूरी का इंतजार है मंजूरी मिलते ही जल्द प्रमोशन शुरू कर दिए जाएं
प्रदेश में करीब 87000 प्राइमरी और 46000 अपर प्राइमरी स्कूल हैं। इनमें से आधे से ज्यादा स्कूलों में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। ऐसे में जो सीनीयर शिक्षक होता है, उसे इंचार्ज बना दिया जाता है। जानकारों की माने तो लखनऊ में ही प्राइमरी में प्रमोशन 2013 और अपर प्राइमरी में 2015 के बाद से नहीं हुए। इसी तरह से उन्नाव में प्राइमरी और अपर प्राइमरी में 2015 में आखिरी प्रमोशन हुए थे। 2015 के बाद तो कहीं भी प्रमोशन नहीं हुए इसकी वजह यह बताई जा रही है की वरिष्ठता विवाद में कुछ शिक्षक कोर्ट गए थे। तब से शिक्षा विभाग उस विवाद का निपटारा कर कोई ठोस नीति नहीं बना पाया है। रिटायर तो कर दिया लेकिन प्रमोशन नहीं दिए
-प्राइमरी एवं अपर प्राइमरी में समय-समय पर हुई शिक्षकों की नई भर्तियों के साथ-साथ शिक्षामित्रों के समायोजना से स्कूलों को नए अध्यापक तो मिल गए लेकिन जो प्रधानाध्यापक रिटायर हुए उनकी जगह भरी ही नही गई क्योंकि प्रमोशन ही नहीं हुए।
परिषदीय स्कूलों में पहली भर्ती प्राइमरी के शिक्षक पद पर होती है, उसके बाद दो स्तर पर प्रमोशन होते हैं।
1. बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सहायक अध्यापक की भर्ती होती है और प्राइमरी स्कूलों में तैनाती मिलती है।
2. पहला प्रमोशन प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक या अपर प्राइमरी स्कूल में अध्यापक के पद पर होता है।
बाद प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक और अपर प्राइमरी स्कूल के अध्यापक का प्रमोशन अपर प्राइमरी के प्रधानाध्यापक के पद पर होता है।
स्थाई प्रधानाध्यापक के होने से स्कूल का होता तेजी से विकास-
शिक्षक नेताओं का कहना है कि प्रधानाध्यापक बनने से मनोबल बढ़ता है और वह आत्मविश्वास के साथ विद्यालय के संबंध में निर्णय ले सकता है। इंचार्ज उस तरह विद्यालय को नहीं चला सकता, इससे विद्यालय में कई दिक्कतें आती है। विवादों का निपटारा कर जल्द प्रमोशन कराए जाएं। प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह कहते हैं-मामला कोर्ट में है तो विभाग को पैरवी करनी चाहिए प्रमोशन न होने से उसका प्रभाव विद्यालय में शिक्षा और अन्य कामकाज पर भी पड़ता है इस पर जल्द निर्णय लिया जाना चाहिए।